Last updated on April 13th, 2024 at 04:18 pm
टैक्स क्या है यह क्यों लगाया जाता है Tax Structure in India |Tax Structure India hindi
हम बहुत बरी सुनते है Income Tax , Property Tax, Wealth Tax, Sales Tax, Purchase Tax, Corporate Tax, Service Tax, और हाल में सबसे ज्यादा चर्चाओं में मौजूद गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आदि के बारे में बहुत बारी सुनते है और मन में आती है की ये कैसे टैक्स होते किस प्रकार से लगते है तो आपको बताते है टैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है टैक्स आज के टाइम में सरकार के लिए कराधान (taxation) आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है
कर TaxPayer दवारा दिया जाने वाला अनिवार्य टेक्स है टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार के दवारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है जो राशि सरकार के पास जमा होती है उस राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है अगर कोई व्यक्ति खुद से या अपनी मर्जी से टेक्स सरकार को जमा नही करवाता है तो उसको जुर्माना या सज़ा मिल सकती है |
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भारत में टैक्सों के प्रकार
Categories Of Taxes In India:-
प्रत्यक्ष कर/ Direct Tex:- ये वे कर होते है जो प्रत्यक्ष रूप से लिए जाते है ये वे कर होते है ये कर सीधा जनता से लिया जाता है जो क्व्यक्ति या संगठन प्रत्यक्ष रूप से उस एंटिटी को भुगतान करता है जिसने इसे लगाया है प्रत्यक्ष कर के प्रकार होते है जैसे सेल्स टैक्स, जहां टैक्स विक्रेता पर लगाया जाता है लेकिन उसका भुगतान खरीदार द्वारा किया जाता है Direct Tex किसी दुसरे व्यक्ति पर नही लगया जा सकता है |
प्रत्यक्ष कर / डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) के भी कई प्रकार के होते है |
- आय कर (Income Tax)
- कैपिटल गेनस टैक्स (Capital Gains Tax).
- सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax)
- कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax)
आय कर (Income Tax) इस टैक्स में सबसे पहला कर आता हो उसको आय (Income Tax) कर टैक्स कहते है इसके वे सभी व्यक्ति आते है जिनकी INCOME 2.5 लाख रूपये से जयदा होती है उसी व्यक्ति को ये कर देना होता है इसमे सालाना आय पर कर देना होता है
कैपिटल गेनस टैक्स (Capital Gains Tax) इसके बाद भारत में दूसरा कर Capital Gains Tax आता है इसके अंदर वे सभी वस्तुए के बारे में बताया गया जैसे आपकी सम्पति या महंगी वस्तुयों को बेचकर जो मुनाफा होता है तो आपके ये कर सरकार को चुकाना होता है
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) इसके बाद आपका तीसरा कर Securities Transaction Tax आता है इसके आपको जब आप किसी दुसरे देश या स्टॉक एक्सचेंज (stock exchange) में जो भी लेनदेन करते है उस पर आपको टैक्स देना होगा |
कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax) इसके बाद आपका चोथा कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax) आता है इस कर में देश की सभी कंपनियां अपनी आय पर सरकार को कर देती है |
अप्रत्यक्ष कर/ INDIRECT TEX:- जो सरकार अप्रत्यक्ष रूप से लेती है। उसे अप्रत्यक्ष कर कहते है आपको इसके नाम से ही पता चलता है की यानी ऐसा टैक्स जो अप्रत्यक्ष रूप से सरकार तक पहुचता है उत्पादों की कीमत को बढ़ाने के लिए अप्रत्यक्ष कर में वृद्धि की जा सकती है, अप्रत्यक्ष कर एक स्थान्तरित कर है। Tax Structure India hindi
- अप्रत्यक्ष कर/ INDIRECT TEX के प्रकार
- बिक्री कर (Sales Tax)
- सर्विस टैक्स (Service Tax)
- उत्पाद कर (Excise Duty)
- प्रोफेशनल टैक्स ( Professional Tax)
- लाभांश वितरण कर (Dividend distribution Tax)
- मनोरंजन कर (Entertainment Tax)
- संपत्ति कर (property Tax)
- स्टाम्प ड्यूटी/ कर (Stamp Duty)
- वैट कर (VAT)
- टोल कर (toll Tax)
टैक्स भरने के लाभ
Benefits of paying taxes :- टैक्स भरने से सरकार नागरिक को सेवाए प्रधान करती है टेक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।
- अगर आप सरकार को टटैक्स टाइम से पेय कर देते हो तो आम जनता को मिलने वाली सुविधाओ में कोई भे कठिनाई नही होगी
- आप अपने BUSINESS के लिए लोन लेने के लिए या DEBIT CARD या CREDIT CARD के लिए आसनी से अप्पलाई कर सकते है और इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।
- इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।
- सरकार को बहुत से काम करने होते है जिसके लिए सरकार को पैसे की जरूरत होती है आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।
वर्ष 2017 -19 से 60 वर्ष से कम व्यक्तियों पर लागू टैक्स दरें
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर स्लैब दरें Tax Structure India hindi
60 साल और एनआरआई के नीचे व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए वित्त वर्ष 2018-19
आयकर स्लैब | 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए कर की दरें |
2.5 लाख रुपये तक | शून्य |
2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख से 10 लाख तक | 20% |
10 लाख रुपये से ऊपर | 30% |
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर स्लैब दर
60 साल से कम उम्र के व्यक्तियों और एचयूएफ और NRI’S के वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए
आयकर स्लैब | 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए कर की दरें
अनिवासी भारतीय |
2.5 लाख रुपये तक | शून्य |
2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख से 10 लाख तक | 20% |
10 लाख रुपये से ऊपर | 30% |
ऊपर के रूप में गणना की गई कर राशि का अतिरिक्त 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लागू होगा।
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सरचार्ज का आवेदन
- 10 प्रतिशत, कुल आय 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये से अधिक है।
- 1 करोड़ रुपये से अधिक की कुल आय के साथ 15% प्रतिशत। – 15%।
वित्त वर्ष 2020-21 से आगे के लिए आयकर स्लैब दर (नई व्यवस्था)
आयकर स्लैब | 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए कर की दरें NRI’S |
2.5 लाख रुपये तक | शून्य |
2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक | 5% |
5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक | 10% |
7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक | 15% |
10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक | 20% |
12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक | 25% |
15 लाख रुपये और ऊपर | 30% |
टैक्स चोरी कानून व जुर्माना Tax Structure India hindi
भारत सरकार ने टैक्स को चोरी होने से बचाने के लिए बहुत से नियम बनाये है टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:
धारा 140 A (1) इस धारा में यदि टैक्स देने वाले आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा। और सरकर के दवारा उसको सजा भी हो सकती है
section 221 (1) इस धरा में टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।
धारा 271 (C) इस धरा में यदि कोई टैक्स देने वाला इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जिस व्यक्ति को डिफाल्टर कर दिया जाता है धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है,तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।
इनकम टैक्स पर छूट Income tax exemption
इनकम टैक्स में छूट का मतलब है की भारत सरकार ने पराने टेक्स को बदल कर के कुछ नए बदलाव किये जिसमे इनकम पर कुछ छूट दी जाती है
नए टैक्स स्लैब के मुताबिक 6 लाख रुपये की सालाना इनकम पर इस तरह से टैक्स लगेगा- 1 लाख रुपये पर 10 फीसदी की दर से टैक्स यानी 10 हजार, फिर 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स यानी 12,500 रुपये और फिर अगले ढाई लाख पर शून्य टैक्स. इस पर करीब 4 फीसदी का सेस लगेगा |
जीएसटी क्या है| What is GST?
जीएसटी का Full Form होता है- Goods And Services Tax । हिन्दी में इसका अर्थ होता है- माल एवं सेवा कर। इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है।
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जीएसटी के प्रकार Types of GST
भारत सरकार ने चाये GST से सम्ब्दित बहुत सारे टेक्स निकल दिए है इसमे भे 4 प्रकार के निम्नलिखित है अगर आप GST को समझना चाहते हो तो आपको GST के सभी प्रकार को समझना बहुत जरुरी होता है अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हो तो आप इस आर्टिकल को अछे से पढ़ सकते हो अगर अपने कभी भी किसी बिल को अछे से देखा है
तो उस बिल में आपको कम से कम 2 GST देखने को मिलते है तो आखिर जीएसटी के चार प्रकार की जरूरत क्यों पड़ी और हर तरह के जीएसटी की खास बात क्या है। इस लेख में आपको ये सब जानने को मिलेगा।
जीएसटी लागू करने के कारण Tax Structure India hindi
Reasons for implementation of GST
- भारतीय संविधान में Tax संबंधी जो पुराने नियम थे, उनमें वस्तुओं के उत्पादन (Production/Manufacturing) और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार (Central Government) के पास था। जबकि,वस्तुओं की बिक्री (Sale) पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों (State Government) को दिया गया था।
- सबने अपने-अपने हिसाब से Tax बनाए और Categories तय कर दीं। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई Tax लद गए। कभी-कभी तो टैक्स के उपर Tax के हालात भी बन गए। छोटे व्यापारियों और कंपनियाें के लिए, इनके नियम-कानूनों से निपटना बड़ा मुश्किल काम था।
- इन विसंगतियों को दूर करने के लिए GST को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया है, जो माल एवं सेवा दोनों पर लग सके। और, जिसे Production से लेकर Sale तक लगाया जा सके।
- Production और Sale का अलग-अलग पेंच खत्म करने के लिए GST का सिर्फ एक आधार तय कर दिया गया, Supply। इसके लिए बाकायदा Tax कानूनों में बदलाव किया गया और संसद में बाकायदा संविधान संशोधन (Constitution (Amendment) की प्रक्रिया अपनाई गई।
सीजीएसटी क्या होता है (What is CGST)
CGST का full form होता है-Central Goods and Services Tax इसका मतलब होता है की इससे जो कर वसूला जाता है वो कर सीधा CENTER GOVERMENT के खातो में जमा होता है इसी को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर के नाम से भी जाना जाता है। CGST 12 अप्रैल 2017 को लागू हुए THE CENTRAL GOODS AND SERVICES TAX ACT, 2017 के तहत यह टैक्स (CGST) वसूलने का अधिकार केंद्र सरकार को मिला है। इसके अलावा राज्य सरकार इस कर को वसूल नही कर सकती
एसजीएसटी क्या होता है (What is SGST)
SGST का full form होता है-State Goods and Services Tax। इसका मतलब होता है ‘राज्य माल एवं सेवा कर इसमे जो कर वसूल किया जाता है वह कर राज्य सरकार के खाते में जमा होता है इस टैक्स को वसूलने के लिए राज्यों ने अपने अपने यहां एसजीएसटी एक्ट पारित किए हैं। जैसे कि, दिल्ली ने अपने यहां 31 मई 2017 को Delhi Goods and Services Act 2017 पारित किया
IGST क्या है?(WHAT IS IGST)
IGST का फुल फॉर्म Integrated Goods and Service Tax होता है जहाँ टैक्स माल और सेवाओं की इन्टरस्टेट सप्लाई पर लागू होता है यह कर निर्यात किये जाने वाली वस्तुओ और सेवाओ पर भी लगया जाता है और केंद्र सरकार IGST के संग्रह के लिए जिम्मेदार है। उदाहरण के लिए, जब व्यापारी दो राज्यों के बीच सप्लाई करता है, तो इस मामले में IGST लगेगा।
IGST की दरें
- आम खाद्य सामान जैसे चाय, नमक, मसाले, चीनी, आदि। = 5%
- प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ = 12%
- इलेक्ट्रॉनिक सामान = 18%
- कैपिटल गुड्ज़, प्रसाधन सामग्री, आदि = 28%
UGST क्या है(what IS UGST) Tax Structure India hindi
ये भी केंद्र शासित प्रदेशों में वस्तुओ और सेवाओ पर लगाये जाने वाला 1 कर होता है ये कर सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होता है UGST दादर, नगर हवेली, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार के साथ-साथ पुडुचेरी और दिल्ली में लागू है। यहाँ सरकार द्वारा एकत्र किया गया राजस्व केंद्र शासित प्रदेश सरकार का है
GST कैसे निर्धारित किया जाता है?
GST माल और सेवाओं के विक्रेता और खरीदार के स्थान के आधार पर निर्धारित किया जाता है CGST और SGST वस्तुओं और सेवाओं की इंट्रास्टेट सप्लाई (intrastate supply) पर लागू होते हैं। इसके विपरीत, IGST वस्तुओं और सेवाओं की इन्टरस्टेट सप्लाई (interstate supply) पर लागू होता है।
जीएसटी के प्रमुख उद्देश्य Tax Structure India hindi
पारदर्शिता बढ़ाता है – GST से भ्रष्टाचार कम होता है और जनता का विसवास सरकार पर बना रहता है और पारदर्शिता बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, व्यवसायों में गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट की संभावना कम होती है।
कीमत में कमी – GST बिल विशेष रूप से पिछले टैक्स ऑन टैक्स प्रणाली को समाप्त करते हुए शुद्ध मूल्य वृद्धि (वैल्यू एडेड पार्ट) वाले हिस्से पर कर लगाता है, और वस्तुओं की लागत को कम करता है।
देश के राजस्व को बढ़ावा देना – एक बड़ा टैक्स टू जीडीपी अनुपात सरकार के राजस्व में वृद्धि को दर्शाता है, । इसके अलावा, व्यापक कर आधार और अधिक कर अनुपालन से GST संचालन से सरकारी आय में वृद्धि हो सकती है।
उच्च दक्षता और उत्पादकता – भारत में GST का उद्देश्य लॉजिस्टिक प्रतिबंधों और इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए समय लेने वाली फाइलिंग प्रक्रिया को समाप्त करना है। इसके अलावा, एंट्री टैक्स को समाप्त करने से व्यवसायों के उत्पादकता स्तर में वृद्धि की संभावना है।
GST की विशेषताएं
इस ARTICLE में सरल एवं सहज भाषा में समझेंगे कि जीएसटी की विशेषताएं क्या-क्या है, साथ ही इसके अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे
- राज्य से बहार अगर सप्लाई की जायेगी तो उस पर IGST को लागू होगा जिससे क्रेडिट सिस्टम को कोई नुकसान नही हो
- सभी वस्तुओं अथवा सेवाओं के लिए करों के चार स्तर है; 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत। कुछ अपवादों को छोड़कर इन्ही कर स्तरों के तहत
- सभी वस्तुओं और सेवाओं को लाया जाएगा जिससे कि पूरे देश के करों में एकरूपता आ जाएगी और इससे एक ही वस्तु के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मूल्यों से बचा जा सकेगा।
- भारत में GST के परिणामस्वरूप कुछ नुकसान भी हुए हैं जैसे लागत में वृद्धि, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर के व्यवसायों की परिचालन (ऑपरेशन) लागत में वृद्धि। इसलिए इसने व्यावसायिक कामकाज में जटिलता बढ़ा दी है।
- यदि आप माल को आयत करते हो तो तो IGST के साथ सीमा शुल्क लगाया जाता है और ये कर आपको CENTER सरकार को जमा करवाना होता है Tax Structure India hindi
- जीएसटी मैं इन को जीएसटी से बहार रखा गया है कच्चा तेल ,पेट्रोल ,डिजल ,ATF , और प्राकतिक गैस
- तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों पर जीएसटी के साथ केंद्रय उत्पाद शुल्क भी लिया जाता है
- एक्सपोर्ट पर टैक्स फ्री है
- इनपुट जीएसटी का टैक्स से आउटपुट जीएसटी का टैक्स को सेट ऑफ किया जाता है
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